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Uploaded On 2024-12-11 11:55:22

सत्ता की हनक में संचालित हैं डिबाई दोराहे स्थित होटल

इसमें कोई शक नहीं कि देश के शहरी इलाकों में भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्यता का असीमित प्रभाव है।

डिबाई। इसमें कोई शक नहीं कि देश के शहरी इलाकों में भारतीय संस्कृति पर पाश्चात्यता का असीमित प्रभाव है। लेकिन ग्रामीणांचल अभी इस तथाकथित आधुनिकता से बचा हुआ है। क्योंकि एक ओर बच्चों के परिजन अपने बच्चों की गतिविधियों के प्रति जागरूक हैं तो वहीं शासन प्रशासन भी गाहे बगाहे पेट्रोलिंग करके संवेदनशील इलाकों पर न सिर्फ नजर बनाए रखता है बल्कि अनैतिक तथा असामाजिक कृत्यों में संलिप्त लोगों पर समाज हित में सख्त कार्यवाही भी करता है। लेकिन जब ऐसे लोग किसी भी असामाजिक कृत्यों को करने के लिए सत्ता का आवरण ओढ़ लें तो उन पर कार्यवाही प्रशासन करे या न करे, लेकिन समाज में उनका चरित्र दृष्टिगोचर होना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। आज हम बात करेंगे डिबाई दोराहे के साथ साथ डिबाई नगर, धर्मपुर रोड, कसेर कलां आदि में कुकुरमुत्तों की तरह अनायास ही पनपे उन होटलों की जिन पर कुछ संचालकों ने तो ओयो का टैग स्तेमाल करके अपना धंधा चमकाने का काम किया तो कुछ ने सत्ता पक्ष के बड़े बड़े फ्लैक्स लगा कर प्रशासन को ये साइलेंट मैसेज दे दिया कि हमारी ओर न देखें। वैसे इसमें दो राय नहीं कि इसका व्यापक असर भी हुआ। क्योंकि आज तक आधिकारिक तौर पर उपरोक्त स्थानों पर संचालित होटलों पर किसी भी सक्षम अधिकारी ने ये जानने का प्रयास नहीं किया कि उपरोक्त संचालित होटलों के कमरों में ठहरने वाले यात्रियों ने लोकल आईडी का प्रयोग करके कितने घंटे का विश्राम किया और आखिर ऐसा क्या प्रयोजन था कि जिसके लिए लगभग 18 से 25 वर्षीय युवक एवं युवतियों को चंद घंटे के लिए ही होटल की आवश्यकता हुई। उसमें भी गौर-ए-तलब ये कि उक्त होटलों में रुकने वाले अधिकांश युगल न तो पति पत्नी थे, और न ही एक परिवार के। तो कभी अलग अलग परिवार तो कभी अलग अलग समाज के युगल जिनका घर उक्त होटलों से चंद किलोमीटर की दूरी पर है को कुछ घंटे के लिए उक्त कमरों में रुकने की आखिर क्या आवश्यकता रही होगी। कहने को ये प्रश्न निजता के अधिकार का वॉयलेशन हो सकता है लेकिन इसी के साथ क्या इस तरह से अलग अलग समाज तथा वर्ग के युगल का उपरोक्त स्थानों पर पाया जाना समाज में लव जिहाद जैसे मामलों को प्रेरित करने का कारण नहीं बन रहा। खैर इसके अलावा जो एक और तथ्य प्रकाश में आया वो ये कि कसेर कलां, धर्मपुर मार्ग, कन्या महाविद्यालय के निकट के अलावा भीमपुर दोराहे क्षेत्र में स्थित तमाम होटलों में साप्ताहिक बाजार अर्थात मंगल बाजार के दिन एक विशेष रौनक देखने को मिलती है। सूत्रों की माने तो डिबाई दोराहे सहित उपरोक्त सभी होटलों में सुबह से ही अतिथि युगल की लाइन लग जाती है। नाम नहीं छापने की शर्त पर ऐसे ही एक प्रतिष्ठित होटल के पड़ोसी ने बताया कि मंगलवार को आने वाले लोकल के अतिथियों/ यात्रियों से लगभग एक घंटे का 800 रुपए से 1000 रुपए तक चार्ज लिया जाता है। वहीं दूसरी ओर ऐसा नहीं है कि प्रशासन इस सब को लेकर चिंतित नहीं है ज्ञात हो कि तत्कालीन एसडीएम दीपक कुमार पाल ने ऐसे ही एक होटल को उपयुक्त प्रपत्र नहीं होने के चलते बंद कराया था। जिसके बाद ज्ञात हुआ कि उस होटल संचालक ने अपने होटल का सराय एक्ट में रजिस्ट्रेशन करवा कर अपने उक्त होटल को पुनः संचालित कर लिया। इसमें दो राय नहीं कि क्षेत्र के विकास के लिए ऐसी सुविधाएं आवश्यक है। लेकिन डिबाई न तो औद्योगिक क्षेत्र है और न ही पर्यटन, तो फिर मानकों को ठेंगा दिखाते हुए ये होटल आखिर किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बेखौफ संचालित किए जा रहे हैं। ज्ञात हो कि विगत कुछ दिन पूर्व ही जनपद के स्याना में एसडीएम गजेंद्र सिंह तथा सीओ दिलीप सिंह द्वारा एक होटल पर कार्यवाही करते हुए ये संदेश दे दिया गया कि यदि कोई भी अनैतिक कृत्य किसी भी क्षेत्र में करने का प्रयास किया जाएगा तो प्रशासन का चाबुक तो चलेगा ही। परंतु ये चाबुक डिबाई क्षेत्र में चलेगा या नहीं ये अपने आप में यक्ष प्रश्न से कम तो नहीं।