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Uploaded On 2024-12-11 11:48:45

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरकारों की संवेदनशीलता कहां खो गई, आखिर क्यों सादे हुए चुप्पी - जगतपाल सिंह

वह समाज के हर चिंतन करने वाले और संवेदनशील व्यक्ति के लिए दुख और चिंता का विषय है

बुलंदशहर। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय और मंदिरों पर लगातार हो रहे हमलों पर तथा कथित बुद्धिजीवी चुप्पी सादे नजर आते है,इंसानियत और मानवता के साथ जो बांग्लादेश में हो रहा है वह समाज के हर चिंतन करने वाले और संवेदनशील व्यक्ति के लिए दुख और चिंता का विषय है इस प्रकार की घटनाओं पर सत्ता और विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठकर कदम उठाने चाहिए इस प्रकार की घटनाएं राजनीतिक चश्मे से नहीं देखनी चाहिए अफसोस यह है कि  देश में किसी समुदाय पर हमले को लेकर भारत में आक्रोश व्यक्त करने वाले पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश पर मौन है जबकि इंसानियत रहती है कि क्या हम पहचान देखकर आवाज उठाएंगे ऐसा नहीं होना चाहिए हम किसी भी विचार को मानते लेकिन इंसानियत यही सिखाती है कि दूसरों के प्रति भी संवेदनशील बने हैं आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों और न ही अल्पसंख्यक हितों की बात हो रही है। जबकि हिंदुओं पर अत्याचार को लेकर आवाज उठानी चाहिए भारत की तरफ से भी कोई ठोस प्रतिक्रिया होती नजर नहीं आ रही कुछ संगठन है जो इस बात को उठा रहे हैं और यह उठनी भी चाहिए  क्योंकि विश्व में भारतीय संस्कृति और भारतीय अध्यात्म यह दर्शाता और बताता है कि विश्व एक परिवार है और मानवता इंसानियत के साथ सबको जीवन जीने का अधिकार है बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक है किसी भी देश में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक  धर्म के लोग हो सकते हैं और उनको अपनी पूजा पद्धति और धार्मिक स्थलों बनाने और सुरक्षित रखने का अधिकार है बहुसंख्यकोका अल्पसंख्यकों के साथ इस प्रकार का अत्याचार नहीं होना चाहिए जो बांग्लादेश में हो रहा है बांग्लादेश में हिंदू समुदाय और मंदिरों पर लगातार इस प्रकार के हमले हो रहे हैं और लोग चुप हैं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई संज्ञान ना लेना इंसानियत और मानवता के लिए अफसोस और दुख की बात हैयह इंसानियत के साथ घोर अत्याचार हो रहा है बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ जो यह घटनाएं हो रही है उसको लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तथाकथित बुद्धिजीवी मौन धारण क्यों करे हुए हैं। किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्यों नहीं उठाई जा रही यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठना चाहिए और सरकारों को इसकी निंदा भी करनी चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जियो और जीने दो के फार्मूले को विश्व स्तर पर उठाना चाहिए जहां तक बात भारत सरकार की है भारत सरकार को कूटनीति और सांस्कृतिक माध्यमों से बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाकर वहां के अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। इस प्रकार की घटनाएं इंसानियत और मानवता के लिए समूचे विश्व को कलंकित करती हैं क्योंकि कोई भी धर्म इंसानियत और मानवता से बड़ा नहीं हो सकता समाज के प्रबुद्ध वर्ग और विश्व की सरकारों को ऐसे मामलों में स्वयं हस्तक्षेप करके रोकना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की घटनाएं समूचे मानव समाज को कलंकित करती है इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग वास्तव में वह किसी धर्म के सच्चे अनुयाई नहीं हो सकते वह केवल इंसानियत के दुश्मन है।