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Uploaded On 2024-12-11 11:42:45

वेदों के पढ़ने से विद्या बढ़ेगी -आचार्य श्रुति सेतिया

"दुःखों का कारण अविद्या है" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गाजियाबाद  केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के तत्वावधान में "दुःखों का कारण अविद्या है" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।य़ह कोरोना काल से 683 वाँ वेबिनार था। वैदिक विदुषी आचार्या श्रुति सेतिया ने कहा कि संसार में हम आविद्या व दुखों को देखते हैं।इसका कारण है मनुष्यों की वेद ज्ञान से दूरी।वेदों से दूरी वेदों का अध्ययन छोड़ देने के कारण हुई। शास्त्रीय वचन है कि हम नित्यप्रति वेदों का स्वाध्याय करें तथा हम वेदों के अध्ययन से पृथक कभी ना हों। हिन्दुओं की धार्मिक साहित्य प्रकाशित करने वाली संस्थाएं वेदों व उनके सत्य अर्थ वाली टीकाओं को प्रकाशित करने का कार्य नहीं करती।यह एक प्रकार का धर्म के सत्यस्वरूप को ना जानना ही है। इससे ही अविद्या युक्त मत मतांतरों को बढ़ावा मिलता है।ऋषि दयानंद जी वेदों के मर्मज्ञ व वेदों को जानने वाले ऋषि थे, उन्होंने चारों वेदों का पुनरुद्धार किया।उन्होंने देश भर में वैदिक मान्यताओं का प्रचार किया। आर्य समाज की स्थापना की तथा आर्य समाज के प्रयासों से वैदिक मान्यताओं की विश्व भर में चर्चा हुई।देश से अविद्या वा अज्ञान के बदल छट गये। यह सत्य सिद्ध है कि ज्ञान वा विद्या के पर्याय वेदों का प्रचार व प्रसार ना होने पर ही अज्ञान वा अविद्या,अंधविश्वास,पाखंड तथा मत मतांतर आदि समाज में फैलते हैं जिससे मनुष्यों के दुखों में वृद्धि ओर मानवजाति का पतन होता है।अविद्या ही मत मतांतरों कि जननी है।जहां अविद्या ना होकर विद्या होती है वहां सच्चे धर्म,सद्ज्ञान,विद्या व वैदिक संस्कृति फलती वा फूलती है।अविद्या से मनुष्य पाप कर्मों को करके दुःख को प्राप्त होते हैं। अविद्या के कारण शिक्षित लोग स्वार्थों के जाल में फंस जाते हैं और देश वा समाज विरोधी कार्य करते हैं।अतः हमें ऋषि दयानंद जी की शिक्षाओं और वेदों का अध्ययन कर अपनी अविद्या को दूर करना है‌।सभी अंधविश्वास वा कुरीतियों से मुक्त होकर देश ओर समाज की उन्नति में योगदान करना है। मुख्य अतिथि आर्य नेत्री पूजा सलूजा व अध्यक्ष अनिता रेलन ने भीतरी आर्ष साहित्य व वेदों के पठन पाठन पर ज़ोर दिया। परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया व प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया। गायिका प्रवीना ठक्कर, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, सुमित्रा गुप्ता 97 वर्षीय, सरला बजाज, आशा आर्या, सुधीर बंसल आदि के मधुर भजन हुए।