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Uploaded On 2025-03-05 10:22:16

हापुड़ में बीयर अनुज्ञापी ने आबकारी अधिकारी पर भेदभाव और राजस्व हानि के आरोप लगाए।

शिकायतकर्ता के अनुसार, हापुड़ में थोक अनुज्ञापन का संचालन मुख्य रूप से चड्ढा और मल्होत्रा कंपनियों द्वारा किया जाता है, जिनका पूरा प्रभाव आबकारी विभाग पर बना हुआ है। इन कंपनियों को मनमाने ढंग से लाभ पहुंचाया जा रहा है


हापुड़ में स्थित सरावनी बीयर दुकान के अनुज्ञापी  राजेंद्र शर्मा ने जिला आबकारी अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि उन्होंने अपने निर्धारित मदिरा उठान के लिए अग्रिम भुगतान कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद उन्हें मदिरा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। उनकी दुकान पर मदिरा का स्टॉक समाप्त हो चुका है, जिससे न केवल उनके व्यवसाय को आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि आबकारी विभाग के राजस्व को भी हानि पहुंच रही है।  

शिकायतकर्ता के अनुसार, हापुड़ में थोक अनुज्ञापन का संचालन मुख्य रूप से चड्ढा और मल्होत्रा कंपनियों द्वारा किया जाता है, जिनका पूरा प्रभाव आबकारी विभाग पर बना हुआ है। इन कंपनियों को मनमाने ढंग से लाभ पहुंचाया जा रहा है, जिससे अन्य अनुज्ञापियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कई बार जिला आबकारी अधिकारी और अन्य अधिकारियों से अपनी दुकान पर मदिरा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया, लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया गया। जब उन्होंने थोक अनुज्ञापन से मदिरा लेने का प्रयास किया, तो उन्हें कहा गया कि पहले जिला आबकारी अधिकारी की अनुमति लेकर आएं।  


शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि जिला आबकारी अधिकारी ने खुले तौर पर कहा कि पूरे जिले में वही निर्णय लेंगे और जो चाहेंगे, वही होगा। यदि शिकायतकर्ता ने उनके निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उनकी दुकान के खिलाफ कार्रवाई कर दी जाएगी और फर्जी मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की धमकी दी गई।  


शिकायतकर्ता का आरोप है कि आबकारी नीति के अनुसार प्रत्येक अनुज्ञापी को अपनी दुकान पर ही मदिरा बेचनी होती है, लेकिन जिला आबकारी अधिकारी अपने निजी स्वार्थ में बड़े समूहों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। इससे सरकार के राजस्व को करोड़ों रुपये की हानि हो रही है। कई दुकानों पर मदिरा की बोतलों के बारकोड हटा दिए गए हैं, जिससे अनियमितताओं का खुलासा किया जा सकता है।  

यह मामला व्यापक स्तर पर आबकारी राजस्व की हानि और अनुचित लाभ पहुंचाने से जुड़ा है। यदि 31 मार्च 2025 तक अनुज्ञापियों द्वारा मदिरा नहीं उठाई जाती है, तो उसे नष्ट करने का प्रावधान है, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि जिला आबकारी अधिकारी जानबूझकर ऐसी स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। शिकायतकर्ता ने इस मामले की निष्पक्ष जांच कर उचित कार्रवाई करने की मांग की है, ताकि उन्हें न्याय मिल सके और आबकारी विभाग की पारदर्शिता बनी रहे।