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Uploaded On 2025-02-21 22:59:37

महाकुंभ में 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी गंगाजल शुद्ध: वैज्ञानिक का दावा

महाकुंभ में 57 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान के बाद भी गंगाजल शुद्ध: वैज्ञानिक का दावा

उजाला हितैषी एक्स्प्रेस,

प्रयागराज (संजीत कुमार उपाध्याय)। महाकुंभ में 57 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान करने के बावजूद गंगाजल की शुद्धता बरकरार है। पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने अपनी प्रयोगशाला में किए गए परीक्षणों के आधार पर यह दावा किया है कि गंगा का जल स्नान योग्य ही नहीं, बल्कि अल्कलाइन वाटर जैसी शुद्धता भी बनाए हुए है।


डॉ. सोनकर ने महाकुंभ क्षेत्र के पांच प्रमुख घाटों से गंगाजल के नमूने लेकर परीक्षण किया और पाया कि इसमें न तो बैक्टीरियल वृद्धि हुई है और न ही पानी के पीएच स्तर में कोई गिरावट आई। उनका कहना है कि गंगाजल में मौजूद 1100 प्रकार के बैक्टीरियोफेज हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट कर देते हैं, जिससे जल की स्वच्छता बनी रहती है।


उन्होंने गंगा जल की गुणवत्ता पर संदेह जताने वाली केंद्रीय संस्थाओं को चुनौती देते हुए कहा कि यदि किसी को उनके दावे पर संदेह है, तो वह प्रयोगशाला में परीक्षण कर सकते हैं। उनका तर्क है कि यदि गंगा जल प्रदूषित होता, तो अस्पतालों में रोगियों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती।


परीक्षण के दौरान गंगाजल के सभी पांच नमूनों की पीएच वैल्यू 8.4 से 8.6 दर्ज की गई, जो इसे अल्कलाइन जल साबित करता है। आमतौर पर जल में बैक्टीरिया की वृद्धि से उसका पीएच स्तर कम हो जाता है, लेकिन गंगाजल में ऐसा कोई प्रभाव नहीं देखा गया। डॉ. सोनकर ने कहा कि महाकुंभ में प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक लोग स्नान कर रहे हैं, इसके बावजूद गंगा जल की शुद्धता बनी हुई है और इसे अति दूषित कहकर गलत प्रचार किया जा रहा है।