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Uploaded On 2025-02-07 22:45:10

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में प्रोबायोटिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका

सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में प्रोबायोटिक्स की महत्वपूर्ण भूमिका

उजाला हितैषी एक्स्प्रेस,

बुलंदशहर (हितेश शर्मा)। बुलंदशहर में सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य चिंता बना हुआ है, जिसका मुख्य कारण ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के उच्च-जोखिम वाले स्ट्रेन का संक्रमण है। हाल के शोध से यह पता चला है कि वेजाइनल माइक्रोबायोम, यानी योनि क्षेत्र में मौजूद बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों का समुदाय, इस कैंसर की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकता है। प्रोबायोटिक्स, जिन्हें आंतों के बैक्टीरिया को संतुलित करने के लिए जाना जाता है, एक स्वस्थ वेजाइनल माइक्रोबायोम बनाए रखने और सर्वाइकल कैंसर को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं।  


सीके बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की निदेशक, डॉ. अरुणा कालरा के अनुसार, वेजाइनल माइक्रोबायोम मुख्य रूप से लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया से बना होता है, जो संक्रमणों से बचाव के लिए आवश्यक है। हालांकि, एंटीबायोटिक्स, तनाव, अत्यधिक वेजाइनल वॉश, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली और खराब आहार के कारण इस माइक्रोबायोम में असंतुलन हो सकता है, जिससे एचपीवी संक्रमण बढ़ सकता है और सर्वाइकल कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।  


डॉ. कालरा ने बताया कि प्रोबायोटिक्स कई तरीकों से सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम में मददगार हो सकते हैं। ये लैक्टोबैसिलस बैक्टीरिया को पुनः स्थापित कर योनि का पीएच संतुलित रखते हैं, जिससे हानिकारक बैक्टीरिया और सूक्ष्मजीवों का विकास नियंत्रित होता है। साथ ही, प्रोबायोटिक्स योनि को अत्यधिक क्षारीय होने से बचाते हैं, जिससे एचपीवी वायरस के जीवित रहने और फैलने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा, प्रोबायोटिक्स बैक्टीरियल वेजिनोसिस (बीवी) के जोखिम को कम करने, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और शरीर को एचपीवी संक्रमण से तेजी से छुटकारा दिलाने में भी सहायक हो सकते हैं।  


हालांकि, प्रोबायोटिक्स को नियमित सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग (पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट) और उपचार के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि एक सहायक उपाय के रूप में अपनाया जा सकता है। इस दिशा में और शोध की आवश्यकता है ताकि इसकी प्रभावकारिता को पूरी तरह से समझा जा सके। प्रोबायोटिक्स महिलाओं के स्वास्थ्य में एक नई उम्मीद की किरण बन सकते हैं और सर्वाइकल कैंसर के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।