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Uploaded On 2025-02-07 22:42:01

राजस्व विभाग के प्रयासों से सरकारी जमीनें कब्जा मुक्त, श्रेय लेने की होड़ में अधिशासी अधिकारी

राजस्व विभाग के प्रयासों से सरकारी जमीनें कब्जा मुक्त, श्रेय लेने की होड़ में अधिशासी अधिकारी

उजाला हितैषी एक्स्प्रेस,

औरंगाबाद, बुलंदशहर। नगर पंचायत की बेशकीमती सरकारी जमीनों पर लगातार हो रहे अवैध कब्जों को मुक्त कराने के लिए प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। जिलाधिकारी श्रुति शर्मा के निर्देश पर एसडीएम सदर नवीन कुमार के नेतृत्व में राजस्व विभाग ने पैमाइश अभियान चलाकर कई सरकारी भूमियों को कब्जा मुक्त कराया। हालांकि, इन सफलताओं का श्रेय लेने की होड़ में नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर सबसे आगे नजर आ रहे हैं, जबकि हकीकत इससे बिल्कुल अलग है।  


नगर पंचायत की इन जमीनों को मुक्त कराने में सबसे अहम भूमिका एसडीएम सदर नवीन कुमार और नायब तहसीलदार औरंगाबाद ललित नारायण प्रशांत की रही। कस्बे के सूरजपुर टीकरी रोड स्थित कब्रिस्तान की छह बीघा जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत मोहल्ला सादात निवासी सैयद जर्रार हुसैन उर्फ पोलू ने शासन-प्रशासन से की थी। जिलाधिकारी श्रुति शर्मा ने इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए एसडीएम सदर नवीन कुमार को कार्रवाई के निर्देश दिए।  


नायब तहसीलदार ललित नारायण प्रशांत ने सोमवार को कब्रिस्तान की जमीन की नाप कराकर उसे कब्जा मुक्त कराया। उन्होंने अधिशासी अधिकारी सेवा राम राजभर को बोर्ड और खूंटियां लगवाने के निर्देश दिए, लेकिन इन आदेशों पर कोई अमल नहीं किया गया। इसके बाद मंगलवार को नायब तहसीलदार ने खुद मौके पर पहुंचकर बोर्ड और खूंटियां लगवाकर जमीन को सुरक्षित कराया। इसी दिन उन्होंने 1287 गाटा की दो बीघा भूमि को भी भूमाफियाओं के कब्जे से मुक्त कराया।  


गौरतलब है कि नगर पंचायत अध्यक्ष सलमा अब्दुल्ला ने भी अधिशासी अधिकारी को पंद्रह दिन पहले एक भूमि पर अवैध निर्माण रुकवाने के लिए पत्र लिखा था, लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। बावजूद इसके, अधिशासी अधिकारी ने मीडिया में बयान जारी कर ढाई सौ करोड़ रुपये की भूमि को कब्जा मुक्त कराने का श्रेय खुद लेने में कोई देरी नहीं की।  


आश्चर्यजनक रूप से नगर पंचायत कार्यालय के ठीक सामने स्थित अतिक्रमण हटाने के बाद भी वहां अवैध कब्जा बरकरार है। यह दर्शाता है कि नगर पंचायत की वास्तविक भूमिका को नजरअंदाज कर केवल श्रेय लेने की राजनीति हो रही है, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों के प्रयासों से ही सरकारी जमीनों को कब्जा मुक्त किया गया है।