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Uploaded On 2025-01-08 23:01:45

कबीर साहित्य परिषद -भारत की मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई।

गोष्ठी कि शुरुआत डा.सागर की सर्वधर्म समभाव की प्रार्थना से प्रारंभ हुई।

हापुड़- काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष मा. सुरेन्द्र खेड़ा ने की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि विजय वत्स व मुख्य अतिथि हाफिज मोहम्मद अरशद जी ने की। गोष्ठी कि शुरुआत डा.सागर की सर्वधर्म समभाव की प्रार्थना से प्रारंभ हुई। गोष्ठी के आयोजक उस्ताद जमशेद माहिर जी पढ़ा कि.....हम से रसमन ही मिला है वो। मिला है जब भी कैसे ओरों से मिलता होगा।।  कवि विजय वत्स जी ने पढ़ा कि...हम तो सबसे ही प्यार करते हैं। जान सब पर ही, निसार करते हैं।। बेख़ौफ़ शायर डा.नरेश सागर ने पढ़ा कि.... खुदगर्जी की ओढ़ के चादर,सोए हुए हैं शहर के लोग। अपने मतलब की दुनिया में,खोए हुए शहर के लोग।। कवि सुरेन्द्र खेड़ा ने कुछ यूं पढ़ा कि.....शक चोरी का था तो बताया क्यूं था। चोर को पड़ोस में बसाया क्यूं था।। डा.सुनील सरकार ने पढ़ा कि... कोई तो मिलेगा यूं सफ़र में। यूं बैचेन होना भी अच्छी बात नहीं। संस्था के संस्थापक/ महासचिव डा. सागर ने ये भी कहा कि....हमनें हाथ पकड़ने सीखें है टांग खींचना नहीं। उपस्थित कवियों में अंकित इंकलाब, मुकेश प्रजापति, विजय वर्मा हिंद, बुद्ध प्रकाश नबाव, सचिन सागर, लोकेश अकेला , रजनीश पायलेट आदि उपस्थित रहे साझा मंच संचालन अंकित इंकलाब व डा.सुनील सरकार ने किया।