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Uploaded On 2024-12-23 07:54:29

दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने सरबंसदानी गुरु गोबिंद सिंह साहिब जी के बड़े साहिबजादों का शहीदी दिवस श्रद्धा और सम्मान से मनाया

दसवें पिताजी श्री गोबिंद सिंह साहिब जी के बड़े साहिबजादों का शहीदी दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया।

नई दिल्ली । दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा दसवें पिताजी श्री गोबिंद सिंह साहिब जी के बड़े साहिबजादों का शहीदी दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया। इस मौके पर कमेटी के प्रबंध के तहत विभिन्न गुरुद्वारों में गुरमति दीवान सजाए गए और मुख्य समागम गुरुद्वारा दमदमा साहिब में हुआ, जहां कीर्तन जत्थों ने गुरु की इलाही बानी के कीर्तन से संगतों को निहाल किया और संगतों को गुरु साहिब के इतिहास से जोड़ने का प्रयास किया। इस अवसर पर कमेटी के अध्यक्ष सरदार हरमीत सिंह कालका और महासचिव सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि साहिबजादों को शहादत का उपहार अपने दादा गुरु तेग बहादर साहिब जी से मिला। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादर साहिब जी की शहादत ने इस देश का नया इतिहास रचा और देश में अमन-शांति बनाए रखी। उन्होंने यह भी कहा कि गुरु साहिब ने चारों साहिबजादों की शहादत देकर यह सिद्ध किया कि सिख कौम शहादतों के द्वारा भी मानवता के साथ खड़ी रहती है। उन्होंने कहा कि परसों रोज़ से परिवारों के विछोड़ के शहीदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई है और 27 दिसंबर को छोटे साहिबजादों की शहादत के साथ यह शहीदी सप्ताह पूरा होगा। उन्होंने कहा कि गुरु साहिब ने कहा था, "इन पुत्रों के सिर पर वार दिए, सूत्त चार, चार मुए तो क्या हुआ, जीवित कई हजार। " इस प्रकार गुरु साहिब ने कौम और मानवता के लिए अपने साहिबजादों की शहादत देने में भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा कि हम नौजवानों को खंडे बटे की पाहुल दिलवाकर उन्हें गुरु वाले बनाए, तभी हम गुरसिखी जीवन में सफल होंगे। उन्होंने बताया कि बच्चों को गुरसिखी जीवन से जोड़ने में सबसे बड़ी भूमिका मां की होती है, लेकिन पिता की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी गुरमति कैंपों का आयोजन कर बच्चों को गुरमति से जोड़ने के प्रयास में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे गुरमति जीवन से जुड़ जाते हैं तो वे नशों और पत्तितपण की ओर नहीं बढ़ते। सरदार कालका और सरदार काहलों ने कहा कि पत्तितपण और नशों की लहर पंजाब से शुरू हुई है, लेकिन दिल्ली में दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी नौजवानों को गुरसिखी जीवन से जोड़ने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आज हमने गुरु तेग बहादर साहिब जी की 350वीं शहीदी दिवस की शुरुआत की है और जिस धर्म और जिस कौम के लिए गुरु साहिब ने शहादत दी, उन्हें गुरु साहिब के इतिहास से परिचित कराना हमारा लक्ष्य है।